Tuesday, 21 May 2019

Hindi poem - एक विचार ही तो हैं हम सब

होने से पहले और होने के बाद,
एक विचार ही तो हैं हम सब |

विचारों और सपनों की दुनिया है अच्छी,
जहां मैं भी हूँ तुम्हारे ही जैसा,
तुम्हे छूता हूँ, हूँ गले भी लगाता,
वो आमोद है जो ना खुली आँख आता|

खुली आँख से तो, जो आमों को देखूँ,
वहीं तुम बसे हो, कहीं बस छुप्पे हो,
खाते हुए आमों को लगता है मुझे ऐसे,
मुह है ये मेरा, पर  जुबां है तेरी,
मेरी भूख है, पर है संतुष्टी तेरी,
क्योंकी संतुष्टी भी रहती है वहीं पे,
जहां माला करते हो तुम विचार बन के।
तुम हो एक विचार और हम भी बनेगें,
वहीं पे रहेंगे जहां तुम हो रहते,
बस तुम हो मेरे में, हम होंगे किसी में,
एक विचार बनके वहीं पे रहेंगे,
क्योंकी
होने से पहले और होने के बाद,
एक विचार ही तो हैं हम सब |

No comments:

Post a Comment